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मुन्नी बदनाम हो गयी , शीला जवान हो गयी , जिगर से बीडी भी जल चुकी है….अब बचा था पव्वा, वो भी आ गया…
बड़ा जुलम हो गया बिचारे वोदका और जिन पर ………इन्हें तो युवा खूब पीते है, मगर जब युवा को ही रिझाने की बारी आई तो पव्वा की काम आया……
पव्वे की इतनी दीवानगी युवाओ के बीच देख वोदका और जिन ने मार्केट में एक विज्ञापन निकाला :
“कोई जाके चमेली को समझाए ,
पव्वा सेहत के लिए हानिकारक होता है , और इससे खूबसूरती और जवानी भी ढल जाती है…
….. वोदका और जिन द्वारा जनहित में जारी”
पव्वे के मालिको ने भी चुप रहने के बजाये जिन और वोदका का जवाब देना बेहतर समझा और उन्होंने भी बोल डाला :
महगाई ने मारा है इस कदर, गम भुलाने के लिए इसे बेहतर कुछ नहीं
हर गम का इलाज़ है पव्वा, मात्र ५० रुपए में …..
खूब जमेगा रंग जब मिल बैठेंगे तीन यार …गम, मैं और पव्वा ..
और साथ में कुछ खूबियों से भरा लेख अख़बार में भी छपवा दिया, जो कुछ इस प्रकार है :
पव्वा भारत की सबसे पुरानी पैदावार है, ये कल के आये जिन और वोदका क्या जाने, पव्वे की अदा को!
विदेशी दारू को पीने के लिए पब या डिस्को जाना पड़ता है, जबकि पव्वा किसी भी गली या चोबारे में मिल जाता है ! और इसको जिस तरह से और जिस जगह चाहो, पी सकते है !
इसका नशा सबसे नशीला है, अक्सर प्रेमी भी प्रेमिका की झील सी आँखों की तुलना इसे करना नहीं भूलते!
पव्वे की कीमत तो सबसे ज्यादा वो इंसान जनता है, जो बात बात पे पव्वे की कसम खाता है ! जिसके लिए पव्वा सबसे बड़ा भगवान है! कोई उसे कहे जिन या वोदका पीने को! कोई उससे हज़ार रुपए भी देगा तो भी, वो पियेगा पव्वा ही !
जहाँ जिन या वोदका का एक पैक १५० रुपए का आता है वहां हमारा पव्वा मात्र ५० का ! अक्सर युवा भी कंगाली के वक़्त पव्वे से ही अपनी प्यास बुझाते है !
ये बातें तो महगाई को देख के बताई जा रही है ! इसके अलावा और भी कई महतवपूर्ण बातें है, जो जनता अनदेखा कर देती है :
* अमर प्रेमी देवदास ने पारो की याद में दिन रात पव्वा ही पिया और मित्र चुनी लाल ने तो कई शैर भी कह डाले थे पव्वे प्रेम में !
* पव्वा पीने के बाद आदमी को हर जगह स्वर्ग दिखती है, चाहे वो नाला हो या कोई गट्टर,
* वोदका या जिन पीने के बाद आदमी का दिमाग खराब हो जाता है, वो घर जाके अपने परिवार से लड़ता है, छोटा बड़ा सब भूल जाता है, जबकि पव्वा पीके आदमी उस जन्नत में होता है, जहाँ सब बस झूम रहे है !
अब खुद ही सोचो ऐसे नशे का क्या फायदा, जो बड़ो से जबान लड़ाना सिखाये !
* भारत में कई ऐसी जगह है जहाँ ये भेद भाव नहीं है,, और औरत और आदमी विदेशी से ज्यादा, भारतीय माल प्रयोग करते है, !
* पव्वे के प्रयोग से आपकी पाचन शक्ति बढती है क्यूकि इसे पचाना हर किसी के बस की बात नहीं!
* पव्वे का प्रयोग पेट साफ रखता है !
* सबसे बड़ी बात : भगवान ने हमे एक दिल, एक दिमाग दिया है मगर किडनी दो दी है, शायद वो भी जानते थे की इंसान को सबसे ज्यादा जरुरत पव्वे की ही है……इसलिए उसे कम से कम दो किडनी दू ताकि वो इस अमृत का जमकर रसपान करे !
ये भारत का वो रस है जिसका रसपान राजा महाराजा के ज़माने से होता आ रहा है, इसका मतलब हमारे इतिहास में भी पव्वे का महतवपूर्ण योगदान है !
* इसमें किसी तरह के रसायन नहीं मिले होते, ये शुद्ध होती है ! इसको बनाने में अंगूर या गन्ने का प्रयोग होता है ! इसलिए ये भी कहा जा सकता है की ये हमारे शरीर को ताकत प्रदान करती है !
पव्वे की महिमा तो अपरम्पार है इसके बारे में जितना लिखो, वो भी कम लगता है ……मगर जाते जाते हम बस इतना बताना चाहते है की east और west, पव्वा is the best !
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