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बार बार परीक्षा में फ़ैल होने के बाद मैंने आत्महत्या का रास्ता बेहतर समझा ………….अब मैं थोड़ी दुविधा में था कि कौन सा तरीका अपनाऊ…………..आखिर में मैंने चूहे मरने की दवा का इस्तेमाल किया ………………साथ में 1 आत्म हत्या पत्र लिख दिया …जिसमे मैंने किसी को इसका जिम्मेदार नहीं माना ,,,,,,’
सुबह में छत पे था और मेरे साथ एक अनजान इंसान खड़ा था , दूसरी तरफ सब लोग मेरे शरीर के चारो तरफ खड़े थे ,,,मुझे सारा मामला समझते देर नहीं लगी ,,,,,,,,,,,,,,अब मैं एक आत्मा था और मेरे अंदर एक अनोखी शक्ति आ गयी थी कि मैं किसी के भी मन की बात जान सकता था ………..
अब उस वक़्त जो जो इंसान मन में क्या सोच रहा था मैं आपको बताता हूँ :
पिताजी : जब सहारे की जरुरत थी , तभी ये सब करना था इसे ,.. बहन: अब राखी पे मुझे गिफ्ट और महगाई ड्रेस कौन दिलाएगा ………एक खास फ्रेंड (लड़की) : मेरी शोपिंग और बाकि खर्चे कौन झेलेगा, जल्दी कोई और ,,,,,,,,,,,
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और भी लोग थे जो तरह तरह की बात कर रहे थे, पर उनकी छोड़ो ……
अब मुझे ख़ुशी थी कि मैं इन सब बन्धनों से आजाद हूँ .,….
तभी वो इंसान बोल पड़ा जो मेरे साथ छत पे था …..चलो, हमे कई और चलना है, मैं तुम्हे लेने आया हूँ…..
.बातो बातो में पता चला हमे चित्रगुप्त जी के पास जाना है और फिर मुझे पता चलेगा कि मैं नरक में रहूँगा या स्वर्ग में,,,,,,,,,,,
थोड़ी देर में हम चित्रगुप्त जी के सामने था ……..उन्होंने कहा अभी तुम्हारे कर्मो का बहीखाता बन रहा है, क्युकि तुम वक़्त से पहले आ गए हो… तब तक तुम स्वर्ग और नरक दोनों में घूम सकते हो ……
सबसे पहले मैं स्वर्ग गया ,,,,वहाँ एक महापुरुष मिले जिनके हाथ में लाठी और आँख पे ऐनक लगी थी …..मैं पूछा आप तो इतने बुजर्ग हो आपका तो अब तक दूसरा जनम भी हो जाना चाइये था फिर आप यहाँ क्या कर रहे हो ?……उन्होंने कहा मैंने जिस आजाद भारत का सपना देखा था या यू कहो जिस भारत को देखने की मेरी ख्वाहिश, तो वो अभी तक नहीं बना, और जब तक मेरी ख्वाहिश पूरी नहीं होगी मैं यही इसी जगह उस पल के इंतजार में रहूँगा……………
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मैं आगे चला तो मुझे एक दारू की बोतल के साथ एक अमर प्रेमी मिला ….मैंने उससे पूछा तुम यहाँ अब तक,,,,उसका भी वही जवाब जब तक मुझे मेरी प्रेमिका नहीं मिलती मैं यही रहूँगा ये मेरी आखिरी ख्वाहिश है जो अभी तक पूरी नहीं हुयी है, वो अभी भी जिंदा है ,,,और मैं यहाँ उसके इंतजार में …………
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मेरे पास ज्यादा वक़्त नहीं था तो मैंने अब नरक जाने का इरादा किया ,,, हालाकि वहाँ जाना कोई पसंद नहीं करता मगर मुझे तो कुछ देर के लिए ही जाना है , इसलिए मैंने अपने कदम नरक की तरफ कर दिए ……
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वहाँ मुझे एक बड़ी दाढ़ी वाला खूखार प्राणी मिला …..उसे भी वो ही सवाल और उसका भी वैसे ही जवाब ,,,जिसने मुझे धोखे से मरवाया मैं उसकी मौत का इंतजार कर रहा हूँ और ये ही मेरी आखिरी ख्वाहिश है ………….
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अब मैं परेशान हो गया कि ये सब चक्कर क्या है ? मैं सीधा चित्रगुप्त जी के पास आ गया ,,,और उन्हें सारी बात बता दी, वो जोर से हसने लगे…. मैंने हसने का कारण पूछा तो वो बोले :
तुम धरती पे रहने वाले प्राणी, अक्सर किसी बात से तंग आ कर या मज़बूरी में आत्महत्या का रास्ता अपना लेते हो , और सोचते हो कि सारी मुसीबते खत्म…मगर ऐसा नहीं है, जब तक प्राणी रूप में हमारी हर इच्छा पूरी नहीं हो जाती ,,,,हमारा जीवन सफल नहीं होता, और …वैसे कई बार हमारे मन में कोई इच्छा या ख्वाहिश पूरी नहीं हो,ती भी हमे मुक्ति नहीं मिलती,,क्युकी जितना वक़्त वक आत्मा का धरती पे लिखा है, उतना तो उसे जीना ही पड़ता है,,,अगर वो आत्महत्या कर लेता है तो बाकी की उम्र यहाँ अपने कर्मो के हिसाब से नरक या स्वर्ग में बितानी पड़ती है ………….बताओ क्या समझ में आया तुम्हारे ,,,,,,,,,,,????
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मैंने कहा : समझ में आ गया मेरे, कि किसी भी समस्या का समाधान मौत नहीं है, हमे डर के नहीं, हिम्मत से सामना करना चाइये……मर के भी वो आजाद नहीं होता, जब तक कि सही वक़्त न आ जाये,,,,मुझे अपनी गलती का एहसास है…क्या मुझे एक मोका मिल सकता है…..
वो नहीं माने…मैं भी जिद्दी ……….और आखिर मुझे एक मोका और मिल ही गया ……..
मेरी चिता को अग्नि ही देने वाले थे कि मेरे अंदर फिर से प्राण आ गए ….
और अब मैं उन लोगो का मार्ग दर्शन करता हूँ, जो अक्सर हार मान के आत्महत्या का मार्ग चुनते है……….. ……….
अगर मैं इस लेख में कही भटक गया हूँ, तो आप लोगो का मार्गदर्शन चाहता हूँ ….
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