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घोड़े और क्रिकेट का मेल

Main Aur Meri Tanhai
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मैं एक छोटे से शहर में रहता हूँ और  मुझे घोड़ो पे दाव लगाने का बहुत शोक था ……और इसलिए मैंने भी एक घोडा खरीद लिया ………….शुरु शुरु में तो मैंने बहुत दौलत कमाई, उस घोड़े के दम पे…..मगर  जिस तरह सूरज चढ़ता है, फिर उतरता भी है,,,ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ,,,,,और अब वो घोडा मेरे घर के पिछले हिस्से की शोभा बढ़ा रहा है …..

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मगर अभी बहुत कुछ होना शायद  बाकी था….एक दिन मैं क्रिकेट देख रहा था, जिसमे एक महान और शायद  इस वक़्त सबसे ज्यादा तजुर्बे वाले खिलाडी  खेल रहा था…….

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उस दिन महान क्रिकेटर  ने अपने क्रिकेट काल का 100 वा शतक जड़ा……और मेरे दिमाग में एक बात आई, क्यों न मैं भी अपने घोड़े पे एक बार फिर से दाव लगा लूं,.,,,वैसे भी वो खड़े खड़े अनाज ख़तम कर रहा था, इस बहाने शायद कुछ मेरा  ही भला  हो जाये………………..

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मैंने अपने घोड़े को दुबारा से मैदान में उतारने का अटल फैसला कर लिया,,,,,,,,,,,अब मैं उसे हर वक़्त गुड और चन्ना और हर वो चीज़ देता जो उसे तंदुरस्त बनाये,…………..

मैंने उसे दौड़ की ट्रेनिंग देनी शुरु की ,,,,क्युकी इतने दिनों से वो सिर्फ खड़ा था,,,,,,,,,,,कुछ दिनों की मेहनत के बाद अब वो तैयार था पूर्ण रूप से ……….

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पहली दौड़ वो हार गया,,,मगर मेरी हिम्मत नहीं टूटी,,,क्युकी ये शुरुवात थी…उसके बाद वो जीतता गया ,,,और मुझपे धन वर्षा होने लगी ,,,,,,,,,,अब मैं उसे बड़े बड़े दौड़ खेल खिलाना चाहता था,,,,,,,,,,,,,,,और मैं उसे लेके एक बड़े शहर में आ गया ,,,,,,,,

अब मेरे घोड़े का कुछ ऐसा हाल था, जहाँ नए नए घोड़े और बिना तजुर्बे वाले होते थे, वहाँ  तो उसका सबसे अच्छा प्रदर्शन होता,,,,, मगर जहा तजुर्बे वाले मिल जाते, वहाँ वो सबसे आखिरी,,,,,,,,,,मगर मैंने इसपे कोई ध्यान नहीं दिया क्युकी वो जैसे भी ला रहा था, मेरे लिए धन तो ला  ही रहा था ………………

मगर क़यामत तो उस दिन आई….जब मैंने उसपे अपना सब कुछ लगा दिया ,,,और वो हार गया,,,,,,,,,,मैं पूरी तरह टूट गया,,,जिसे मैंने दौड़ का महान क्रिकेटर समझा,,, वो हकीकत में भी महान क्रिकेटर  जैसा ही निकला, जो नए नवेलो के आगे तो हीरो बन जाता है, मगर महान के आगे जीरो……………..

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अब मुझे अपनी गलती पे पछतावा हो रहा था कि मैंने ऐसा क्यों किया..(एक घोड़े रूपी गधे पे दाव लगा दिया ) ,,,,,मैं हार  के घर वापस आ रहा था, तो मुझे रास्ते में एक गधा दिखा,,, जिसे देख के मेरे मुह से अचानक निकल पढ़ा ” अगर मैं गधे को भी दौडाता तो वो भी शायद  इसे अच्छा ही दौड़ता …”

शायद आपको समझ न आये ………. मगर समझदार के लिए इशारा ही काफी होता है……………

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