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एक वक़्त ऐसा था, जब धरती पे देवता अवतरित होते थे, उसके बाद मानव रूप में जन्म ……..और अब तो नाम सुने को ही मिल जाये वोही बहुत ……………………….ऐसा नहीं देवता नहीं है, वो है ,,,मगर आज कल की शीला मुन्नी से किसी को फुर्सत मिले तो इन्हें याद करे ……..मैं भी कभी कभार, भूलते भटके भगवान्, प्रभु या देवता, जो कह लो, उन्हें याद कर लेता था ………….
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एक सुबह जब मैं नींद से जागा तो देखा,,,,तरह तरह के हीरे मोती जडित वस्त्र पहन, एक मानव मेरे समक्ष खड़ा है ………मैंने आँख खोलते हुवे बोला : भाई जी, ये मेरा घर है, कोई रामलीला का मैदान नहीं, जो आप ऐसे वस्त्र पहन के मेरे आगे खड़े हो …………जवाब मिला : मुझे पहचाना नहीं ?…….मैंने कहा : देखने में तो कोई नौटंकी वाले लगते हो, मगर चेहरा कुछ कुछ नितीश भारद्वाज से मिलता है …….उन्होंने पूछा : ये कौन है ? मैंने कहा : भाई जी सुबह सुबह चढ़ा के आये हो क्या ? नितीश भारद्वाज को नहीं जानते, अरे वो जिन्होंने महाभारत में श्री कृष्ण का किरदार निभाया था …………………मेरी बात सुन कर वो जोर जोर से हसने लगे ,,,,उनकी हसी इतनी तेज़ थी कि मेरे कानो में दर्द हो गया ……….मैंने उनके हसने का कारण पूछा तो, वो बोले : हम हकीकत के भगवान् है ..………….और अब मैं जोर जोर से हँसा ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
.उन्होंने क्रोध में आके मेरी आवाज़ बंद कर दी …मैंने इशारो में उनसे माफ़ी मांगी………उन्होंने मेरी आवाज़ लोटा दी ……….. उसके बाद कमरे में खामोशी छा गयी ….अब मैंने उनके यहाँ आने का कारण पूछा ?
वो बोले : कुछ दिनों पहले नारद मुनि मेरे पास आये और मुझसे बोले “प्रभु आपको दुबारा धरती पे अवतरित होना होगा, क्युकी इंसान आपको भूलता जा रहा है …….” मेरी और नारद जी की बहुत बहस हुयी…उसके बाद निर्णय हुआ कि धरती पे सबसे पहले उस इंसान को ढूंढा जाये, जो मुझे मानता भी हो और नहीं भी ,,,,,,,,,,नारद जी पुरे एक सप्ताह बाद मेरे पास आये और एक प्राणी का नाम लिया : सुमित !!!!
.मैं बीच में बोल पड़ा : मेरा नाम क्यों ? उन्होंने कहा : मैंने भी ऐसे ही पूछा कि सुमित ही क्यों ? तो नारद मुनि ने मुझे जवाब दिया ” प्रभु ये वो प्राणी है, जो ख़ुशी मिलने पे तो आपको कुछ नहीं कहता, मगर गम मिलने पर हमेशा आपको कोसता है ,, कभी आपके मंदिर में नहीं जाता मगर डर लगने पे आपको याद करता है …….इसलिए ये वैसा ही प्राणी है जैसे कि आपको तलाश थी ………………..”
और मैं तुम्हारे समक्ष खड़ा हूँ ………..
.कलयुग में हर किसी को मेरे दर्शन नहीं मिलते, बताओ तुम्हे क्या वर चाइये? मैंने कहा : प्रभु ! आज पुरे दिन आप मेरे साथ रहे और जो जो मैं इच्छा करू, आप पूरी कर दे ,,,बस यही मैं चाहता हूँ ……….वो मान गए, मगर उन्होंने एक शर्त रखी ” एक इच्छा बस एक बार, और वो १० मिनट के अंदर ….” ,,,,,,,,,,,
.अब मैं तैयार हो गया और प्रभु को भी कपडे बदलने को कहा,,,उन्होंने चुटकी बजाई और उनके वस्त्र बदल गए ,,,,,,,,और हम घर से निकल पड़े , ………….थोड़ी देर बहार घुमने के बाद हम घर में वापस आ गए …….प्रभु ने कहा : अब तो कुछ मांगो, रास्ते में भी कुछ नहीं माँगा ,,,,,,,,तब जाके मैंने कहा : प्रभु ! मुझे एक मोटर साइकिल चाइये,,,,प्रभु ने कहा : ठीक है ……५ मिनट बाद मैंने कहा : वो रहने दो मुझे कार चाइये …….प्रभु ने कहा: तुम फिर से बदलो पहले ही बता दो……….कौन सी चाइये?
मुझे वो मारुती की कार चाइये …..
.प्रभु : पक्का ...
.हां ,,,,
.सोच लिया …
.तभी मैं बोला: रुको…काली नहीं लाल रंग की, या सफ़ेद …….
भगवान् ने सर पकड़ लिया और कहा : तुम एक बार में नहीं सोच सकते ………..
.मैं मुह से हां मगर गर्दन से ना कह रहा था ,,,,,,,,,,,,,,,,
प्रभु: शादी हुयी ? मैं : नहीं ….प्रभु : कैसी लड़की पसंद है ? मैं : देखने में ऐश जैसी हो और nature में अमृता जैसी ,,,आँखे कैट जैसी और होठ …..प्रभु : रुक रुक …क्या कर रहा है …….कोई एक बोल …मैं : चलो सबको छोड़ो, मेरी माँ जैसी कोई और है ……………..
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सुबह से शाम तक यही सिलसिला चलता रहा …………और शाम होते ही प्रभु गायब हो गए ……मैंने आवाज़ लगाई : हे प्रभु …..कहाँ खो गए हो ? अभी तक आपने मेरी एक भी इच्छा पूरी नहीं की ….
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तभी एक आवाज़ आई (कोई दिखाई नहीं दिया) : मैंने एक दिन के लिए कहा था, तुम पुरे दिन फैसला नहीं कर पाए कि आखिर तुम्हे चाइये क्या ? अब मैं क्या कर सकता हूँ ? गलती तुम्हारी है तुम भुगतो …….तुम चाहते तो क्या नहीं मांग सकते थे, मगर तुम बार बार अपनी पसंद ही बदलते रहे ,,और फिर तुम सब प्राणी भगवान को कोसते हो कि भगवान कुछ नहीं करते, जब तुम ही एक बात पे टिके नहीं रह सकते तो मैं क्या करू ……….
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.अब मैं रो रहा था ,,,मगर क्या करू आखिर हूँ तो एक इंसान, और इंसान की सबसे बड़ी समस्या यही है ,,,,,और जो इस समस्या को हारा देता है वो ही जीतता है ……
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