Main Aur Meri Tanhai
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जब मैं छोटा था
.सर से उठ गया पिता जी का हाथ
.अब रहते थे ताऊ के साथ
.बात बात पे मारा-डाटा जाता माँ को
.मैं चुप चाप देखता
.एक दिन मैंने माँ से कहा
.चल कई और चले माँ
.माँ बोली :
.तू नहीं समझेगा तू अभी बच्चा है …
.रोज़ देखता मैं माँ को
.छुप छुप के रोता हुआ….
.धीरे धीरे मैं बड़ा हुआ
.और साथ में प्रबल हुयी
.माँ को इस नरक से निकालने की इच्छा
जब मैं बड़ा हुआ, कामयाब हुआ
.मैंने माँ से कहा
“चल माँ अब तो कही और चल,
कब तक यही रोती रहेगी”
माँ ने कहा : तू नहीं समझेगा तू अभी बच्चा है …
ये परिवार है मेरा, इसी आँगन में तू बड़ा हुआ,
.तेरा बचपन बीता , कैसे जाऊ इसे छोड़ के ,,
.इस घर में तेरे पिता जी की याद बसती है ..
.तू नहीं समझेगा तू अभी बच्चा है …
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