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आज कल जहाँ देखो सिर्फ एक ही चर्चा कि लडकियों के साथ दुराचार करने वाले दुराचारी के साथ क्या किया जाये…सरकार ने भी बलात्कार को योन दुर्व्यवहार का नाम दे दिया…..लोगो ने अपनी लडकियों को पर्दों में रखना शुरु कर दिया… हिन्दू धर्म कि लडकियों ने भी अब बुर्के का इस्तमाल शुरु कर दिया……..कई लोगो ने तो लड़की को गर्भ में ही समाप्त कर दिया ………….सबने अपने अपने तरीके से इस समस्या का समाधान निकाला, और उसे अपनाया…..सबसे ज्यादा प्रयोग में जो तरीका लाया गया वो था बुरखा या पर्दा……………….
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मगर किसी ने उन आशिकों के बारे में नही सोचा, जो किसी से प्यार करते है या किसी के दर्शन मात्र के लिए गलियों में घुमा करते है …………………..ऐसे में एक दिन मुझे एक आशिक का लव लैटर मिला, जिसे मैं आप सब के साथ साझा कर रहा हूँ…………..
प्रिय प्रियतमा,
तुम्हारी बहुत याद आती है, मगर जबसे तुम्हारे पिता जी ने तुम्हे बुरखा पहनने को कहा है ,,तबसे तो तुम्हारे दर्शन दुर्लभ हो गए है….अभी कल की बात है, मैं तुम्हारे मोहल्ले में आया था, परन्तु तुम्हे नहीं पहचान सका क्युकी एक तो तुम्हारे मोहल्ले के सारे मकान एक जैसे, ऊपर से सारे मकानों के आगे बुरखे सुख रहे थे और सब लडकियाँ बुरखे में,,एक बार तो मैंने गलती से एक बहन जी का हाथ पकड़ लिया और मजनू जैसा हाल करवा लिया, मगर अब मेरी ऐसी हिम्मत नही, इसलिए लैटर लिख रहा हूँ ………आज कल कही दिल नहीं लगता, कल दिल बहलाने के वास्ते मारुफ़ खान की फिल्म ॐ शांति ॐ देखने गया, सोचा यहाँ तो शांति मिलेगी, परन्तु वहां भी नायिका बुरखे में ही नज़र आई,,पूरी फिल्म में बुरखे ही बुरखे दिख रहे थे…………..सोचा चाँद में तेरा दीदार करू, तो चाँद भी ऐसा नज़र आया, जैसे चांदनी ने भी घूँघट किया हो………जैसे दर्शन ना मिलने पर भक्त मन ही मन विचलित हो जाते है, ठीक ऐसा ही हाल मेरा हो रखा है ……..अब तो ना भूख लगती है और ना प्यास, देवदास सा हाल है मेरा ,,,तुम्हारे मुख दर्शन की आश लिए, भटकता रहता हूँ ……ये समाज भी एकतरफ़ा फैसला सुनाता है………जब कोई पत्नी अपने पति का कत्ल करा दे तो मीडिया एक दिन बाद इस खबर को भूल जाती है, मगर कोई पति ऐसा करे तो,,..महीनो भर का हंगामा ..उपर से नारी मुक्ति मोर्चा वाले…कभी पुरुष बचाओ दल के बारे में सुना है किसी ने ?भारतवर्ष की कई महान लेखिकाए भी शायद ऐसे अवसर की तलाश में रहती है, अवसर मिले और हम लिखे……..वो लिख देती है और जुदाई का गम हमे झेलना पड़ता है……..प्रियतमा बहुत कुछ है लिखने को, मगर सब अभी लिख दूंगा तो अगले पत्र में क्या लिखूंगा.,……..तुम्हारे ढके हुए चेहरे को याद करते हुए पत्र समाप्त करता हूँ…….
.तुम्हारा चम्पू
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