Main Aur Meri Tanhai
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धर्म में बाटना शुरु कर दिया, जब से इंसान ने खुद को …
तब से मुबाहिसा का जन्म हुआ, कैसे बताऊ कैसे मानवता का क़त्ल हुआ !!
धर्म के बेवहरियो ने, बेशउर कर दिया इसको,
सिमतितर की भाति, खोखला कर दिया इसको !!
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धर्म बेवहरियो ने , ऐसा भवरजाल बिछाया,
खातक को भी, जन्नत जैसा दिखाया !!
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धर्मचार्यो ने जगत्कर्ता को भी, कई नामो में बाँट डाला,
जंत्रमन्त्र ताबिजो में, जगत्कर्ता को बांध डाला,!!
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धर्म के इस खेल में, जरायु में ही क़त्ल हो गए कितने,
मतला शुरु कर, आधे अधूरे में रोक डाला !!
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धर्म के मम्लकत में, सिर्फ बँट रहे है इंसान,
इन्सानियत, इसराफिल, इंमान !!….
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मुबाहिसा = वाद-विवाद, बेशउर = असंस्कृत, खातक = खाई, मतला = ग़ज़ल का शुरुवाती भाग, मम्लकत = राज़, इसराफिल = फ़रिश्ता, बेवहरिया = लेखापाल, महाजन
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