Menu
blogid : 8097 postid : 711

परिपक्वता और नादानियां

Main Aur Meri Tanhai
Main Aur Meri Tanhai
  • 59 Posts
  • 780 Comments

धर्म-मजहब के नाम पर,

तुम लड़ सकते हो, मैं नहीं

अपने शब्दों की नुमाइश बेहतर,

तुम कर सकते हो, मैं नहीं

.

मैं, मैं क्या कर सकता हूँ ???

मैं तो बस….

.

मैं तो आज भी ले सकता हूँ

बारिश का मज़ा

गलतियाँ कर पा सकता हूँ सजा

कल्पनाओ से निखार सकता हूँ धरा

बात दिल की कहता हूँ सदा…….

.

रो कर मना सकता हूँ उन्हें

रूठ के सता सकता हूँ उन्हें

नादानियो से हँसा सकता हूँ उन्हें

क्या तुम कर सकते हो ?

.

कदाचित नहीं

.

क्योंकि परिपक्वता तुम्हारा बन्धन है

और नादानियां मेरी आज़ाद उड़ान …..

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published.

    CAPTCHA
    Refresh