राजनीति का सबसे बड़ा पलटफेर होने के बाद, सभी राजीनीतिक दलों के मुह से निकल गया “आप तो ऐसे न थे” आप तो छा गए आसमान पर (हमे उम्मीद नहीं थी ऐसा होगा )| मगर इसके साथ ही आप घिर गयी काले बादलो से| आप ने दोनों बड़े राजनितिक दलों पर बार बार ऊँगली उठाई है, और आज आप को दिल्ली में अपनी सरकार बनाने के लिए इन्ही दलों का दामन थामना होगा | जहाँ आप प्रमुख अरविन्द जी ने किसी भी दल का दामन थामने की बजाय दुबारा चुनाव को प्राथमिकता दी है, तो दूसरी तरफ दे दी है चटपटी चाट न्यूज़ चैनलों को चटकारे लेने के लिए |
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हर किसी की अपनी राय और अपना फैसला, जहाँ किरण बेदी जी का मानना है कि बीजेपी और आप को मिलकर सरकार बनानी चाहिए, तो दूसरी तरफ न्यूज़ चैनलों पर आप के नेता बीजेपी को सिर्फ बातों के शेर और सपना दिखाने वाली पार्टी बता रही है | आप के कार्यकर्त्ता जिस तरह से बीजेपी की तरफ उंगलियाँ (कांग्रेस का अब आप नाम लेना भी नहीं चाहती ) उठाकर बीजेपी को कांग्रेस जैसा ही बताने पर तुली है, उससे तो यही ज़ाहिर होता है कि आप जनता के कन्धे पर बन्दूक रख शिकारी बनने की ख्वाहिश रखती है, मगर सवाल है आप का शिकार कौन ?
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दूसरी तरफ बीजेपी भी चुप नहीं है और आप पर कीचड़ उछालने से पीछे नहीं हट रही है | आप लगातार जनता का शुक्रिया अदा कर रही है, मगर जनता की मदद से पीछे भी हट रही है, आखिर किसका साथ चाहती है आप ? जहाँ बीजेपी हमेशा कांग्रेस को निशाना बनाती आयी है तो अब आप बीजेपी को निशाने पर लिए बैठी है |
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बाढ़ लगी है ट्विटर और फेसबुक स्टेटस की | सब लगे है एक दुसरे पर इल्जाम लगाने में | आप न जनता के लिए सत्ता में आ रही है और न ही किसी और को समर्थन दे, सत्ता का दावेदार बना रही है | कही न कही दाल में कुछ तो काला है |
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ऐसे में आप के प्रमुख और आप समर्थको से कुछ सवालो के जवाब चाहूँगा :-
1. यदि बीजेपी भी अन्य दलों के जैसी है, तो फिर मोदी जी बीजेपी के साथ क्यों ? क्या मोदी जी भी और नेताओ की तरह है ?
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2. आप बीजेपी/कांग्रेस को समर्थन देने को तैयार नहीं है, अगर ६ महीने बाद भी परिणाम यही रहा तो आप क्या करेगी ? तब आप बीजेपी/कांग्रेस को समर्थन देगी या तब भी यही ड्रामेबाजी चालू रखेगी ?
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3. क्या आप सच में आम जनता के लिए सोचती है, या ये वोट बनाने का मात्र एक जरिया था, जिसमे आप कामयाब भी रही ?
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4. अगर आप आम जनता के लिए सोचती है तो क्यों नहीं बना रही है सरकार ? क्यों ६ महीने और चाहिए आप को ? आखिर क्या चल रहा है आप प्रमुख के माइंड में ?
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5. “आधी छोड़ पूरी को धावे, आधी मिले न पूरी पावे” मुहावरा आप ने पहले कभी सुना है ? कही आप का हाल भी इस मुहावरे की तरह न हो जाये |
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अभी भी वक़्त है आप के पास, संभल जाइये | वरना कुछ दिनों बाद आप समर्थक ही आप के लिए कहेंगे “आप तो ऐसे न थे “
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