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स्वतंत्रता दिवस पर भाषण

Main Aur Meri Tanhai
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ऐसा माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 68 वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर करीब 65 मिनट तक भाषण देकर कई मायनों में इतिहास रचा है। भाषण के बाद मीडिया ने कई छोटे-बड़े नेताओ से भाषण को पॉइन्ट देने जैसी नौटंकी जारी रखी तो दूसरी तरफ एक बार फिर मासूम जनता बातों के जाल में फंसती नज़र आई ।
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मीडिया एक तरफ प्रचार कर रही है कि मोदी देश के ऐसे पहले प्रधानमंत्री बन गए हैं, जिन्होंने लाल किले की प्राचीर से बिना लिखा हुआ भाषण दिया, जबकि दूसरी तरफ खुद ही कह रही है कि मोदी जी का भाषण कई मायनों में भाषण नहीं, बातचीत जैसा लगा। अब जनता खुद ही सोचे कि जब हम किसी से बात करते है तो क्या किसी कागज़ या कॉपी पे नोट कर के बोलते है । जब इस बार स्वतंत्रता दिवस पर भाषण बोला ही नहीं गया है तो फिर उसके लिखे होने या न होने से क्या फर्क पड़ता है |
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मीडिया ने बताया कि भाषण देते समय मोदी जी बुलेट प्रूफ बॉक्स के भीतर खड़े नहीं हुए। तो जानने योग्य बात यह है कि पहली बार बुलेट प्रूफ बॉक्स का इस्तमाल इंदिरा ग़ांधी जी ने अपनी सुरक्षा के लिए किया था, इससे पहले जवाहर लाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री जी भी बिना बुलेट प्रूफ बॉक्स के लाल किला से जनता को सम्बोधित कर चुके थे । गौरतलब है कि स्वतंत्रता दिवस समारोह (2014) के लिए पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के 10 हजार से ज्यादा जवानों को तैनात किया गया, इनमें दिल्ली पुलिस, केंद्रीय सुरक्षा बल और एनएसजी के कमांडो शामिल थे । लाल किले के आसपास 200 से ज्‍यादा सीसीटीवी कैमरे लगाए गए। काफिले के रास्‍ते की 360 ऊंची इमारतों की पहचान कर उन पर शार्प शूटर तैनात किये गए थे | निगरानी के लिए मानव रहित विमान (ड्रोन) का भी इस्तेमाल हो रहा था । इसके अलावा लाल किला और आसपास के इलाकों में एंटी एयरक्राफ्ट गनों की तैनाती भी की गई थी । अब जनता खुद ही सोचे, क्या इतनी सुरक्षा के बावजूद बुलेट प्रूफ बॉक्स की भी जरुरत थी ?
शायद नहीं, बिलकुल नहीं |
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मोदी जी ने २ अक्टूबर से सफाई अभियान के शुरुवात की घोषणा की । मोदी जी भावनाओ में इतना बह गए की वो संघ द्वारा दी गयी शिक्षा को भी भूल गए और मंच को ग़ांधीमय बना दिया । जबकि हकीकत यह है कि संघ ने हमेशा मोहनदास करमचंद ग़ांधी जी को कोसा है और महात्मा ग़ांधी जी को गोली मारने वाले नाथूराम गोडसे संघ और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक भूतपूर्व स्वयंसेवक थे । संघ में एक किताब भी पढाई जाती है जो कि गांधी जी के………………………………इस बात को यही छोड़ देते है, संघ की बात कभी और करेंगे |
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मोदी जी ने कहा “‘आज हम जब बलात्कार की घटनाएं सुनते हैं, तो हमारा माथा ठनक जाता है। हर कोई अपने-अपने तर्क देते हैं। मैं आज इस मंच से हर मां-बाप से पूछना चाहता हूं जब लड़की 10 साल की होती है तो मां-बाप पूछते हैं कहां जा रही हो? वे चिंतित रहते हैं। रेप करने वाले लड़कों के मां-बाप को अपने बेटे से भी पूछना चाहिए।” मगर मैं मोदी जी से जानना चाहता हूँ , वो भी एक समय पर नौजवान युवक थे, तो क्या उनके माँ-बाप ने कभी उनसे कोई सवाल नहीं पूछा कि वो कहाँ जा रहे है और कब आएंगे ? हर माँ-बाप को अपने बच्चो की चिंता होती है, माँ-बाप की चिंता जितनी लड़की के लिए होती है , उतनी ही लड़को के लिए । ये बात मोदी जी को समझनी चाहिए | मोदी जी ने कहा – ” रेप करने वाले लड़कों के मां-बाप को अपने बेटे से भी पूछना चाहिए “, मोदी जी अब आप ही बताइये क्या माँ-बाप को पहले से पता होता है कि हमारा बेटा रेप करने जा रहा है या हमारा बेटा बलात्कारी है या आप सभी लड़को को बलात्कारियों की लाइन में खड़ा करना चाहते है |
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चलते चलते कुछ बातें –
मोदी जी कल किसानो के प्रति संवेदना प्रकट कर रहे थे, जबकि यदि आप गूगल पर सर्च करे तो पाएंगे कि सबसे ज्यादा किसानो की आत्महत्या की दर गुजरात में पिछले कई वर्षो से लगातार बढ़ी है । सोचने वाली बात यह भी है कि नए शहर और नयी कंपनियां बसाने के लिए ज़मीन चाहिए और खेती के लिए भी । अब या तो खेत ही सवर जाये या डेवलपमेंट के नाम पर नयी कंपनियां |
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मोदी जी ने कहा कि हर स्कूल में लड़कियों और लड़को का अलग शौचालय हो, मगर मैंने आज तक कोई स्कूल ऐसा नहीं देखा जहाँ लड़कियों और लड़को का शौचालय एक हो । वैसे मोदी जी को उस राज्य का नाम लेना चाहिए था जहाँ ऐसा है |
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अगर मीडिया मुझसे पूछती तो मैं कल के भाषण के लिए मोदी जी को 10 में से 3.5 पॉइन्ट ही देता । आज तक जनता मजबूर थी कांग्रेस को झेलने के लि
, तोअबलाचारहैअच्छेदिनोंकेइंतज़ारमें|

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